चंद्रशेखर आजाद शासकीय अग्रणी महाविद्यालय सीहोर में भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के अंतर्गत गुरु तेग बहादुर सिंह का 350वां शहीदी दिवस मनाया गया जिसमें वक्ता के रूप में संस्था के प्रभारी प्राचार्य डॉक्टर आमिर एजाज एवं वरिष्ठ प्राध्यापक डॉक्टर शीलचंद गुप्ता ने गुरु तेग बहादुर सिंह जी के जीवन पर अपने विचार व्यक्त किये। डॉक्टर गुप्ता ने बताया कि गुरु तेगबहादुर सिंह ने औरंगजेब की दमनकारी नीतियों के विरुद्ध धार्मिक स्वतंत्रता एवं मानव अधिकारों की रक्षा के लिए डट कर संघर्ष किया और यातनाओं के आगे झुकने के स्थान पर शहीदी का चयन किया। उनकी शहादत 1675 में हुई। संस्था के प्रभारी प्राचार्य डॉ अमीर एजाज़ ने कहा कि जब-जब कोई व्यवस्था दमनकारी हो जाती है तब तब समाज में ऐसे लोग अवश्य जन्म लेते हैं जो समाज के उत्थान का कार्य करते हैं। गुरु तेग बहादुर ऐसे ही महापुरुष थे जो यातनाओं एवं अत्याचारों से विचलित नहीं हुए और उन्होंने सद्मार्ग छोड़ने से इनकार कर दिया। उनकी शहीदी का सम्मान करने के लिए ही शीशगंज और रकाबगंज हमारे लिए तीर्थ के समान हैं। डॉक्टर तिमोथियस एक्का ने इस दिवस पर विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि जिस तरह गुरु तेग बहादुर ने अपने धर्म एवं संस्कृति के लिए प्राण देना स्वीकार किया उसी तरह भावुक, बुद्धिजीविता, विवेकशीलता और आध्यात्मिकता का मार्ग चयन करते हुए हमें अत्याचार, अनाचार, और उत्पीड़न का विरोध करना चाहिए। यही उनके शहीदी दिवस की सीख है। कार्यक्रम का संचालन भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ प्रभारी डॉक्टर तृप्ता झा ने किया तथा आभार डॉक्टर सिद्धनाथ खजूरिया ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्टाफ सहित विद्यार्थी उपस्थित थे।

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