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सीहोर। प्रधान जिला न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष प्रकाश चंद्र आर्य ने सीहोर जिला जेल का निरीक्षण किया। इस अवसर पर जेल में बंदियों के लिए विधिक जागरूकता शिविर भी आयोजित किया गया। कार्यक्रम में प्रधान जिला न्यायाधीश ने कहा कि जेल की निरोध अवधि को दंड नही बल्कि चिंतन एवं मनन कर आत्मबोध का समय समझना चाहिए एवं इस अवधि में हमे अपनी गलतियों से सीखते हुए आगे उन्हे नही दोहराने का प्रण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जेल से बाहर जाने के बाद सकारात्मक जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने जेल के बंदियो से जेल के अंदर संचालित विभिन्न दक्षता निर्माण कार्यक्रमो के अंतर्गत लाभ लेने, कौशल सीखने एवं स्वावलंबी बनने की बात कही। कार्यक्रम में न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव स्वप्नश्री सिंह ने जेल के बंदियो के अधिकारो, निशुल्क विधिक सहायता व सलाह, प्लीबारगेनिंग, जेल लीगल एड क्लीनिक, अपील के प्रावधान आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। निरीक्षण के दौरान प्रधान जिला न्यायाधीश ने पाकशाला, जेल लीगल एड क्लीनिक, जेल डिस्पेंसरी, महिला सेल, बंदियों के बैरक, पानी एवं रोशनी की व्यवस्था, डॉक्टरों की उपलब्धता, बीमार बंदियों के उपचार सम्बंधी सुविधाओं, दवाओं की उपलब्धता आदि का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान बंदियों एवं महिला बंदियों के पोषण, भोजन, स्वास्थ्य एवं अन्य आवश्यक सुविधाओं तथा उनके प्रकरणों की प्रगति के सम्बंध में विस्तार से जानकारी ली। उन्होंने बंदियों की समस्याओं को सुना तथा त्वरित निराकरण के संबंधितों को निर्देश दिए। इस दौरान जिला विधिक सहायता अधिकारी जीशान खान, जेल उप अधीक्षक अक्षय कुमार सिंहोतके एवं बंदीगण उपस्थित थे।
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