यह कैसा कानून, कृषि प्रोडक्ट घटिया निकले तो निर्माता को नहीं विक्रेता को सजा, विभाग कर देता है दुकान सील,करा देता हैं एफआईआर खाद बीज कीटनाशक दवाइयां के विक्रेताओं ने निकाला विरोध मार्च, कलेक्ट्रेट में नारेबाजी कर दिया केंद्रीय कृषि मंत्री के नाम डिप्टी कलेक्टर को ज्ञापन

 



सीहोर । केंद्रीय कृषि मंत्रालय के द्वारा जबरन थोपे जा रहे कानून और अपनी विभिन्न मांगों के निराकरण नहीं किए जाने के विरोध में बुधवार को जिले भर के खाद बीज कीटनाशक दवाइयां के विक्रेता एकजुट दिखाई दिए। जिला कृषि आदान विक्रेता संघ के बैनर के साथ खाद, बीज, कीटनाशी दवाईयो के विक्रेताओं ने पहले भोपाल नाके से कलेक्ट्रेट तक फिर कलेक्ट्रेट से कृषि उपसंचालक कार्यालय तक पैदल मार्च निकाल कर सरकार के नियमों के विरुद्ध हल्ला बोल प्रदर्शन किया।


कलेक्ट्रेट पहुंच कर जिला कृषि आदान विक्रेता संघ के सीहोर जिला कार्यकारी अध्यक्ष सुनील राठी के नेतृत्व में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम का ज्ञापन डिप्टी कलेक्टर आनंद राजावत को दिया गया इसके बाद सभी विक्रेता विरोध रैली के रूप में कृषि उपसंचालक कार्यालय पहुंचे और यहां पर भी समस्याओं के निराकरण को लेकर ज्ञापन दिया गया।

आक्रोश दर्ज कराते हुए खाद बीज कीटनाशक दवाइयां के विक्रेताओ ने डिप्टी कलेक्टर को बताया कि कृषि विभाग द्वारा जारी विक्रय लायसेंस के अनुसार उक्त कृषि आहारों का कय एवं विक्रय कर अपना व्यापार व्यवसाय नियमानुसार करते हैं । शासन द्वारा निर्धारित मापदण्डो के अनुसार कम्पनियों को दी मई, अनुमतियों के उपरांत ही कृषि आदान सामग्रियों का कय एवं विक्रय करते है।


कंपनी से जो भी खाद, बीज एवं कीटनाशी दवाईयों एवं अन्य कृषि उत्पाद एवं विक्रय कम्पनियों द्वारा दी गई सील पैक पैकिंग में प्राप्त होता के साथ कीटनाशक दवाईयों एवं बीज उर्वरकों की गुणवत्ता जस के तस विक्रय करते है। लेकिन खाद बीज कीटनाशक गुणवत्ताहीन पाए जाते हैं तो क्रेता के द्वारा शिकायत होती हैं। शिकायत के बाद जब विभाग का जांच दल दुकान पर पहुंचता है तो कंपनी पर नहीं विक्रेता पर कार्यवाही करता है जबकि हम विक्रेता है निर्माता नहीं है इसके बावजूद विक्रेताओं पर एफआईआर दर्ज तक करवा दी जाती है। दुकानें सील कर दी जाती हैं जिससे लाखों रुपए का नुकसान होता है। जबकि गलती हमारी नहीं कंपनी की होती है या फिर उपयोगकर्ता के द्वारा कंपनी गाइडलाइन से अलग हटकर सामग्री का उपयोग किया जाता है जिससे नुकसान होता है लेकिन इसका दोषी भी विक्रेता को माना जाता है और कार्रवाई की जाती है। दुकान गोदाम सील होने से अन्य कंपनियां के प्रोडक्ट भी रखे रह जाते हैं और समय सीमा निकालने के बाद वहां खराब हो जाते हैं जिससे विक्रेताओं को काफी नुकसान होता है।



कृषि आदान विक्रेता संघ अध्यक्ष सुनील राठी ने बताया कि कपंनियो द्वारा निर्धारित कीटनाशक दवाईयाँ बेस्ट ऑफ प्रेक्सटिस के अनुसार बनाई जाती है, जबकि किसानो द्वारा उक्त दवाईयों को अपनी सुविधा के अनुसार उपयोग में लाया जाता है, जिसके कारण उक्त दवाईयों के अच्छे रिजल्ट भी नहीं मिल पाते है, इसका जिम्मेदार भी हम विक्रेताओं को ही ठहराया जाता है समस्याओं को लेकर हम व्यापारीगणों में अनिश्तिताओं का माहौल बना हुआ है। 


किसी कंपनी का एक कोई प्रोडक्ट का किसी विशेष लॉट नम्बर का सैम्पल फेल होने की दशा में केवल उक्त सैम्पल फेल उत्पाद का एवं उक्त लॉट नम्बर को प्रतिबंधित करना तो नियमानुसार है लेकिन उस विक्रेता का लायसेंस निरस्त करना न्याय के विरुद्ध है । इसी प्रकार उवर्रक विक्रेताओं के लिए भी अनेक समस्याएँ है, जिसमें प्रमुख रूप से शासन द्वारा प्रदत्त पीओएस मशीन जो कि वर्तमान में नये मॉडल में अपडेट कर प्रदाय की गई है, उनमें भी सर्वर डाउन संबंधी समस्याएँ आती रहती है, जिसके कारण दूकानो का स्टॉफ एवं पीओएस मशीनो का स्टॉक से मिलान नहीं हो पाता है, जिसके कारण अनेक समस्याएँ खड़ी होती है.जबकि व्यापारियों को शासन द्वारा रासायनिक खादो का अलॉटमेंट 30 प्रतिशत है. व शासकीय संस्थाओं को 70 प्रतिशत है।


केंद्रीय कृषि मंत्री और मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री से समस्याओं के अतिशीघ्र निराकरण की मांग करते है। मांग पूरी नहीं होती है तो अपने प्रतिष्ठानो को बंद करने के लिए हम मजबूर होंगे ।


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