सीहोर, 29 जून, 2025 शासन के निर्देशानुसार प्रदेश के साथ ही सीहोर जिले में भी जल संरक्षण के उद्देश्य से जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है। यह अभियान अपने अंतिम पड़ाव पर है। जिले में इस अभियान के तहत अनेक जल संरक्षण गतिविधियां आयोजित की गई। इस अभियान का उद्देश्य जनभागीदारी के माध्यम से जल का संरक्षण करना तो था बल्कि उन सभी प्राचीन बावड़ियों और जल स्त्रोंतों का जीर्णोद्धार करना भी था जो नष्ट होने की कगार पर थे।
अभियान के तहत सीहोर जिले के ग्राम अमामाय से एक ऐसी ही सुंदर तस्वीर सामने आई। जिसमें जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत जनपद पंचायत एवं जन अभियान परिषद के सदस्यों ने ग्राम पंचायत आममाय स्थित लगभग 300 वर्ष पुरानी बावड़ी पर श्रमदान कर बावड़ी की साफ सफाई की तथा बावड़ी का जीर्णोद्धार का "बावड़ी उत्सव" के रूप में मनाया। इसके साथ ही प्राचीन जल स्त्रोंतों के संरक्षण का संदेश देने के उद्देश्य से बावड़ी पर 51 फिट लम्बी चुनरी ओढ़ाई गई। बावड़ी पर दीप जलाए गए, बावडी की पूजा अर्चना की गई तथा आकर्षक रंगोली बनाकर बावड़ी को सजाया गया।
इसी प्रकार अभियान के तहत जिले के ग्राम खामखेड़ा वैजनाथ में स्थित प्राचीन बावड़ी का जीर्णोद्धार किया गया है। यह बावड़ी कई वर्ष पुरानी होने के कारण धीरे-धीरे खंडहर में परिवर्तित होने लगी थी जिसकी रंगाई-पुताई, साफ सफाई और साज सज्जा करके बावड़ी को पुर्नजीवित करने का कार्य किया गया है। अब यह बावड़ी सभी को अपनी सुंदरता से आकर्षित कर रही है। इस बावड़ी के जीर्णोद्धार के बाद ग्रामवासियों का कहना है कि यह बावड़ी उनके लिए जल के एक बेहतर स्त्रोत के रूप में उपयोगी होगी। प्राचीन बावड़ियों एवं अनेक जल स्त्रोतों का जीर्णोद्धार यह बताता है कि किस प्रकार जल गंगा संवर्धन अभियान ने जल संरक्षण में अपनी महती भूमिका निभाई है। इस अभियान ने जल संरक्षण में एक ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की है।
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