डी बी सी पी एल का सड़कसुरक्षा जागरूकता हेतु संदेश



डी बी सी पी एल के सी एस आर प्रबंधक द्वारा कुछ इस तरीके से सड़क सुरक्षा एवं दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए चौपाल लगा कर ग्रामीणों युवाओं एवं क्षेत्रीय वाहन चालकों को समझाया जा रहा है। एक छोटा बच्चा जब थोड़ी ऊँचाई पर बैठाया गया, तो कुछ देर खेलने के बाद वह अपनी माँ को पुकारने लगा “मम्मी… बचाओ, बचाओ!”क्योंकि उस मासूम को अपनी सुरक्षा की चिंता थी।

उसे डर था कि वह गिर न जाए, उसे चोट न लग जाए। लेकिन दुख की बात है कि आज हमारे युवा साथी और कई बार अभिभावक भी अपनी सुरक्षा और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर उतने सजग नहीं दिखते।

मोबाइल में व्यस्त रहना, सड़क पर जल्दबाज़ी, हेलमेट या सीट बेल्ट न लगाना,बच्चों को बिना देखरेख सड़कों पर छोड़ देना—

ये सब छोटी-छोटी लापरवाहियाँ बड़े हादसों का कारण बन जाती हैं। यदि एक छोटा बच्चा भी अपनी सुरक्षा को लेकर सतर्क हो सकता है, तो हम क्यों नहीं ? समाज की सुरक्षा हमारे ही व्यवहार से शुरू होती है।

इसलिए— समाज को सुरक्षा के प्रति आवश्यक मार्गदर्शन है कि, सुरक्षा कोई विकल्प नहीं, जीवन की अनिवार्यता है। सड़क से लेकर घर तक, हर कदम सावधानी से उठाएँ। बच्चों को सुरक्षा के मूल नियम सिखाएँ।

उन्हें समझाएँ— सड़क पार कैसे करें, किससे मदद लें, किस परिस्थिति में क्या करें। यातायात नियमों का पालन करें और दूसरों को भी प्रेरित करें। हेलमेट, सीट बेल्ट, स्पीड कंट्रोल— ये आपकी जिंदगी की ढाल हैं। घर, स्कूल और समाज में ‘सुरक्षा संस्कृति’ विकसित करें। कोई भी असुरक्षित गतिविधि दिखे, तो तुरंत रोकें और समझाएँ। युवाओं को यह समझाना आवश्यक है कि परिवार की सुरक्षा भी उन्हीं पर निर्भर है। उनकी एक सावधानी पूरे परिवार को सुरक्षित रख सकती है।“सुरक्षा समझदार का आभूषण है, और लापरवाही जीवन का सबसे बड़ा शत्रु।” यदि बच्चा सुरक्षा की पुकार कर सकता है, तो हम सबको भी अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए जागरूक होना ही चाहिए।

सुरक्षित समाज का निर्माण, हमारी सजगता और जिम्मेदार व्यवहार से ही संभव है।


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