सीहोर। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा इंद्र के अहंकार को दूर करने की स्मृति में मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा प्रकृति, गौ-सेवा और पर्यावरण संरक्षण का आदर करने का संदेश देती है। केन्द्र और प्रदेश सरकार गौधन के संरक्षण के लिए कार्य कर रही है। उक्त विचार शहर के सैकड़ाखेड़ी स्थित संकल्प नशा मुक्ति केन्द्र में गोवर्धन पूजन दिवस के मौके पर बुधवार को संस्कार मंच के संरक्षक मनोज दीक्षित मामा ने कहे। इस मौके पर आश्रम में वृद्धजनों ने श्रद्धा भक्ति सेवा समिति के तत्वाधान में केन्द्र के संचालक राहुल सिंह के मार्गदर्शन में परिसर में गोबर से आकृति बनाई थी, इसके पश्चात रंगोली सजाई और दीप प्रज्जवलित कर पर्व मनाया। इस मौके पर समिति की ओर से पंडित सुनील पारासर, धर्मेन्द्र माहेश्वरी, आनंद व्यास, बाबू सिंह, आकाश राय, कमलेश राय आदि शामिल थे।
श्री दीक्षित ने कहाकि दीपावली के अगले दिन होने वाला गोवर्धन पर्व प्रकृति, पर्वत और गौ-वंश संरक्षण की भारतीय प्राचीन परंपरा का प्रतीक है। इस परंपरा का साक्षात दर्शन हमें भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर धारण करने से मिलता है। मानवता की रक्षा के इसी पावन स्मृति में गोवर्धन पूजन किया जाता है। इस पर्व में गौ-धन के संवर्धन की प्रेरणा है जो भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें भारतीय समाज की वह जीवनदृष्टि समाहित है, जिसमें प्रकृति, पशु, मनुष्य और देवत्व का संतुलन देखने को मिलता है। दीपावली के दूसरे दिन भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना की गई और गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा की गई। माहौल भक्तिमय बना रहा, और दीपों की रोशनी तथा भजन की ध्वनियों से आश्रम परिसर आलोकित हुआ।

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