संकल्प वृद्धाश्रम परिवार के तत्वाधान में 15 दिवसीय शिव-शक्ति दिव्य अनुष्ठान का शुभारंभ पहले दिन गायत्री परिवार के द्वारा किया गया यज्ञ, प्रसादी का वितरण गायत्री मंत्र विश्वास और कल्याण का प्रतीक माना जाता-विमल तेजराज




सीहोर। गायत्री मंत्र विश्वास और कल्याण का प्रतीक माना जाता है। यह मंत्र हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है और इसे वेदों का सार माना जाता है। इसका जाप करने से आत्मिक शांति, बुद्धि का विकास और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे जीवन में कल्याण की प्राप्ति होती है। उक्त विचार शहर के सैकड़ाखेड़ी स्थित संकल्प वृद्धाश्रम केन्द्र परिवार के तत्वाधान में जारी 15 दिवसीय शिव-शक्ति दिव्य अनुष्ठान के पहले दिन गायत्री परिवार की ओर से पधारे विमल तेजराज ने कहे। इस मौके पर केन्द्र के संचालक राहुल सिंह ने यहां पर मौजूद गायत्री परिवार की ओर से राकेश जी, जिला संस्कार मंच के पदाधिकारी चाहत रुठिया आदि का सम्मान किया गया।

अनुष्ठान के पहले दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गायत्री मंत्रों के साथ आहुतियां दी और गायत्री मंत्र का जाप किया। इस मौके पर यहां पर आए गायत्री परिवार के पदाधिकारियों ने बताया कि संकल्प परिवार के द्वारा आयोजित कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने विश्व के कल्याण की कामना को लेकर आहुतियां दी है। इस मौके पर श्रद्धा भक्ति सेवा समिति की ओर से मनोज दीक्षित मामा सहित अन्य ने आरती की। अब शुक्रवार को सुबह अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा पुत्र कथा वाचक पंडित राघव मिश्रा का सम्मान किया जाएगा। श्री दीक्षित ने बताया कि संकल्प वृद्धाश्रम परिवार के द्वारा गुप्त नवरात्रि पर 15 दिवसीय दिव्य अनुष्ठान किया जा रहा है। इस मौके पर प्रतिदिन कथा वाचकों के द्वारा भगवान शिव और शक्ति के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। पहले दिन गुप्त नवरात्रि की महिमा का वर्णन किया गया। श्री दीक्षित ने बताया कि यह नवरात्रि आध्यात्मिक विकास और आत्म-साक्षात्कार के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि साधक गहन साधना और ध्यान में संलग्न होते हैं। गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा का विधान है, जो देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं। पहले दिन मां शैलपुत्री को गाय के दूध और घी से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है। आप उन्हें दूध से बनी बर्फी या खीर का भोग चढ़ा सकते हैं। मान्यता है कि इससे घर में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। पहले दिन दूध से बनी प्रसादी का वितरण किया गया। 


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