सीहोर, 26 मई, 2025 मजबूत इरादा हो और कुछ करने की प्रबल इच्छा शक्ति हो तो मुश्किल राह भी आसान हो जाती है। इस बात को सीहोर जिले की श्रीमती सीमा मेवाड़ा ने साबित करके दिखाया है। सीहोर जिले के छोटे से गांव रामखेड़ी में रहने वाली सीमा मेवाड़ा कभी खुद को सिर्फ एक गृहिणी मानती थीं। दिनभर घर के कामकाज में व्यस्त रहना, परिवार की जिम्मेदारियां निभाना यही उनकी दुनियां थी। लेकिन कहीं न कहीं उनके मन में कुछ अपना करने का, अपनी पहचान बनाने का और सबसे बढ़कर, अपने जैसे और लोगों को आगे बढ़ाने का एक सपना पल रहा था। आज के इस युग में महिलाओं के लिए प्रेरणा बन रहीं सीहोर जिले के ग्राम रामखेड़ी निवासी श्रीमती सीमा मेवाड़ा उन महिलाओं में से एक हैं, जो वास्तव में कुछ कर दिखाने का हुनर रखती हैं।
श्रीमती सीमा ने बताया कि मेरा शुरू से ही यह प्रयास था कि मैं स्वयं का व्यवसाय शुरू करू, पर आर्थिक सहायता की कमी के कारण अपने कदम पीछे हटा लेती थी। इसके बाद मुझे पता चला कि मैं प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना (पीएमएफएमई) के तहत लोन लेकर अपना स्वयं का व्यवसाय प्रारंभ कर सकती हूं, तो मैने तुरंत इसके लिए आवेदन किया। कुछ दिनों में इस योजना के तहत 03 लाख 40 हजार रूपये का लोन मिल गया। लोन मिल जाने के बाद शीघ्र ही मैने अपने परिवार की सहायता से अपना नमकीन निर्माण का कार्य छोटे स्तर से प्रारंभ करते हुए अपने सपनों की पहली ईंट रखी और एक छोटी सी नमकीन बनाने की यूनिट शुरू की। इसके बाद धीरे-धीरे ग्राहकों को हमारे द्वारा बनाया जाने वाला नमकीन पसंद आने लगा तो मैने अपने इस व्यवसाय को और बढ़ाया।
सीमा ने बताया कि शुरुआत में काम मुश्किल था। सीमित संसाधन, कम अनुभव, लेकिन हौसला पूरा था। परिवार ने भी उनका साथ दिया। धीरे-धीरे सीमा की मेहनत रंग लाने लगी और ग्राहकों को नमकीन पसंद आने लगा। पहले छोटी दुकानों में नमकीन भेजा, फिर थोक में नमकीन की सप्लाई शुरू की। आज सीमा के वर्कशॉप में मशीनों से नमकीन बनता है, और खास बात यह है कि इस काम में 9 लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। जो महिला कभी घर से बाहर निकलने में हिचकती थी, वह आज दूसरों के सपनों को भी पंख दे रही है। उनकी मासिक आय 20 हजार रुपये तक पहुंच चुकी है, और काम लगातार बढ़ रहा है।
सीमा कहती हैं कि अगर महिला ठान ले तो कुछ भी असंभव नहीं है। हम सिर्फ घर संभालने तक सीमित नहीं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था संभालने में भी पीछे नहीं हैं। सीमा मेवाड़ा आज अपने गांव की ही नहीं, पूरे जिले की प्रेरणा बन चुकी हैं। उनकी कहानी हमें बताती है कि महिला सशक्तिकरण सिर्फ बड़े शहरों की बात नहीं, गांव की गलियों से भी क्रांति की शुरुआत हो सकती है।
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