यह अभियान न सिर्फ पक्षियों के प्रति करुणा और दया का प्रतीक है, बल्कि प्रकृति से जुड़ाव और सेवा भावना को भी दर्शाता है। इस अभियान के अंतर्गत विश्वविद्यालय परिसर के विभिन्न स्थानों पर मिट्टी के बर्तन रखे गए, जिनमें नियमित रूप से पक्षियों के लिए दाना और पानी भरा जाएगा।
कार्यक्रम अधिकारी डॉ. विनोद भट्ट ने बताया कि यह एक छोटा लेकिन सार्थक प्रयास है, जिससे छात्रों में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता और ज़िम्मेदारी की भावना उत्पन्न होती है। उन्होंने यह भी कहा कि NSS के स्वयंसेवक नियमित रूप से इन बर्तनों की देखरेख करेंगे।
इस अवसर पर डॉ. देवव्रत गुप्ता (एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी) घनश्याम बामनिया राष्ट्रीय सेवा योजना के पूर्व स्वंय सेवक व सहायक प्राध्यापक स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर, श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एन्ड मेडिकल साइंसेज सीहोर सहित कई संकाय सदस्य और छात्र स्वयंसेवक रिषभ काबरा, खुशी उपस्थित रहे। सभी ने इस नेक अभियान की सराहना करते हुए इसे लगातार जारी रखने का संकल्प लिया।
छोटा कदम, गहरा असर — “दाना-पानी अभियान” एक प्रेरणा, एक जिम्मेदारी।
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