भगवान झूलेलाल का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा, 30 मार्च को निकाला जाएगा भव्य चल समारोह



सीहोर। प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी सिंधी समाज के तत्वाधान में चेटीचंड का पर्व आस्था और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। इस मौके पर आगामी 30 मार्च को भव्य रूप से शाम को समाजजनों को द्वारा चल समारोह निकाला जाएगा।

इस संबंध में जानकारी देते हुए सिंधी समाज के अध्यक्ष रमेश आहुजा और चल समारोह के अध्यक्ष भूपेन्द्र पाहुजा ने बताया कि वरण अवतार भगवान श्री झूलेलाल के जन्म उत्सव चेतीचांद पर्व आगामी 30 मार्च को सिंधी कालोनी स्थित मंदिर में धूमधाम से मनाया जाएगा। इस मौके पर शुक्रवार को सुबह अखंड पाठ साहब का शुभारंभ किया गया, वहीं रविवार को सुबह दस बजे पाठ साहब की समाप्ति के अलावा शाम पांच बजे भव्य शोभा यात्रा निकाली जाएगी। इसके पश्चात रात्रि नौ बजे से भंडारे का आयोजन किया जाएगा। इस मौके पर समाजजनों ने निर्णय लिया है कि पर्व के दौरान सभी अपने प्रतिष्ठान बंद रखकर आयोजन में प्रमुखता से शामिल होंगे।

उन्होंने बताया कि चैत्र शुक्ल द्वितीया से सिंधी नववर्ष का आरंभ होता है। इसे चेटीचंड के नाम से जाना जाता है। चैत्र मास को सिंधी में चेट कहा जाता है और चांद को चण्डु। इसलिए चेटीचंड का अर्थ हुआ चैत्र का चांद। इस बार यह रविवार 30 मार्च को है। सभी त्योहारों की तरह इस पर्व के पीछे भी पौराणिक कथाएं हैं। चेटीचंड को अवतारी युगपुरुष भगवान झूलेलाल के जन्म दिवस के रूप में जाना जाता है। उनका जन्म सद्भावना और भाईचारा बढ़ाने के लिए हुआ था। पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भारत के अन्य प्रांतों में आकर बस गए हिंदुओं में झूलेलाल को पूजने का प्रचलन ज्यादा है। उपासक भगवान झूलेलाल को उदेरोलाल, घोड़ेवारो, जिन्दपीर, लालसाँई, पल्लेवारो, ज्योतिनवारो, अमरलाल आदि नामों से भी पूजते हैं। भगवान झूलेलालजी को जल और ज्योति का अवतार माना गया है। इसलिए लकड़ी का मंदिर बनाकर उसमें एक लोटे से जल और ज्योति प्रज्वलित की जाती है और इस मंदिर को श्रद्धालु चेटीचंड के दिन अपने सिर पर उठाते हैं, जिसे बहिराणा साहब भी कहा जाता है। सभी त्योहारों की तरह इस पर्व के पीछे भी पौराणिक कथाएं हैं। चेटीचंड को अवतारी युगपुरुष भगवान झूलेलाल के जन्म दिवस के रूप में जाना जाता है।

उनका जन्म सद्भावना और भाईचारा बढ़ाने के लिए हुआ था। पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भारत के अन्य प्रांतों में आकर बस गए हिंदुओं में झूलेलाल को पूजने का प्रचलन ज्यादा है। उपासक भगवान झूलेलाल को उदेरोलाल, घोड़ेवारो, जिन्दपीर, लालसाँई, पल्लेवारो, ज्योतिनवारो, अमरलाल आदि नामों से भी पूजते हैं। भगवान झूलेलालजी को जल और ज्योति का अवतार माना गया है।



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