राय सा. रामचरन जायसवाल की स्मृति में हुआ दूरदर्शन द्वारा सुबाई मुशायरा क्यों ढूंढते हो तुम गीता और कुरान में, इंसानियत मिलती है आदमी और इंसान में-सुरेश जायसवाल



दूरदर्शन केंद्र भोपाल, म. प्र.साहित्य साधना मंच सीहोर एवं अंजुमन फिक्रे अदब सीहोर के संयुक्त तत्वावधान में 4 जनवरी को सीहोर क्लब के सभागार में दूरदर्शन के कार्यक्रम प्रमुख अधिशासी  जंयत श्रीवास्तव मुख्य अतिथि, शायर एवं एंकर फरमान जियाई एवं शायर वृंदावन राय सरल सागर , शैलेन्द्र पहलवान, मुमताज खान विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। सर्वप्रथम अतिथियो के द्वारा मां सरस्वती एवं रामचरन जायसवाल के चित्र पर माला अर्पण कर दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सरस्वती वंदना गीतकार हरीश पथिक के द्वारा प्रस्तुत कर कार्यक्रम का आगाज किया। अतिथियों का स्वागत अध्यक्ष डॉ अनीस एवं संस्थापक सुरेश जायसवाल द्वारा किया गया। सर्वप्रथम पिता को समर्पित रचना वृन्दावन राय सरल सुनाई अध्यक्ष डॉ अनीस खान ने अपने स्वागत भाषण में साहित्य प्रेमी राय सा. रामचरन जायसवाल के व्यक्तित्व तथा प्रकार डाल डाला। मुक्का सिटी जयंत श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में कार्यक्रम की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए बताया कि मुशायरों के शौकीन नवांकुर शायरों को दूरदर्शन के माध्यम से मंच प्रदान करने के लिए सीहोर उपयुक्त स्थान है यह आज कार्यक्रम में देखने को मिला। संस्थापक -सुरेश जायसवाल ने अपनी ग़ज़ल क्यूं ढूंढते हो तुम गीता और कुरान में। इंसानियत मिलती है आदमी ओर इंसान में।।साथ छूटा वतन गया बदल गया फिर भी,ईद ओर दिवाली साथ मिलकर मनाते हिंदूस्तान में। सुनाकर तालियां बटोरीं। इस अवसर पर मसरूर कौसर,शायरा सीमा शिवहरे सुमन भोपाल , जनाब फरमान जियाई, जावेद अआष्टवी आष्टा,ए आर साहिल,हवीब सागर,तमकीन बहादुर, नोमान गाज़ी, डॉ मंगलेश जायसवाल,परवेज भाई, उवैस राईन,रशीद शैदा, युनुस बेग अम्बर, सुभाष चौहान, धर्मराज देशराज, संदीप मेवाड़ा, हीरालाल जायसवाल, कमलेश शर्मा कमल,ने चिर-परिचित अंदाज में ग़ज़लें सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। कार्यक्रम का सफल एवं अद्भुत संचालन जनाब फरमान जियाई साहब ने एवं आभार व्यक्त संस्थापक -सुरेश जायसवाल ने किया इस अवसर पर मुख्तार भाई, महमूद भाई, रमेश राय,आसिफ कुरेशी, कुतुबुद्दीन शेख, तारिक भाई,नसीम अहमद नसीम,वसीम अहमद,हवीब खान, हरीश आर्य, आदि थे।

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