सीहोर। जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर स्थित बिसनखेड़ा गांव को भारत का अनोखा गांव कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस गांव की इतनी खूबियां है कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा बन गया है। इस गांव में ना झगड़े होते हैं और ना ही कोई शराब पीता है। गांव में हर परिवार के पास गोवंश के मवेशी हैं। हैरानी की बात ये भी है कि इस गांव में कोई शराब पीकर आ भी नहीं सकता है। आ जाने पर उसे कठोर दंड का भागीदार बनना पड़ता है।
गांव के बारे में जानकारी देते हुए ग्राम चन्देरी के समाजसेवी एम.एस. मेवाड़ा का कहना है कि वैसे तो शहर की भीड़भाड़ भरी जिदंगी से गांवों में अभी भी खुशहाली देखने को मिलती है, लेकिन इस गांव की खासियत की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। इस गांव की अनेक खासियतें हैं। जिन्हें जानकार आप आश्चर्यचकित हो जांएगे। मेवाड़ा और राजपूत जातियों के लोगों के बहुतायात में निवास करने वाले लोगों की सबसे बड़ी और खास बात यह हैं कि यह गांव पूरी तरह से शराब मुक्त गांव है। इसके कारण गांव में झगड़े और विवाद भी नहीं होते हैं। शराब पीकर कोई गांव में नहीं आता है। इस गाँव में देवता की गादी होने के कारण लोगों में खौफ बना हुआ है।
गांव के हर परिवार के पास है मवेशी, लेकिन नहीं बेचते हैं दूध
करीब 800 की आबादी वाले इस छोटे से गांव के हरेक परिवार के पास मवेशी है। जिनका दूध बेचा नहीं जाता है। दूध गांव के लोग दूध का स्वयं इस्तेमाल करते हैं। जिन्हें जरूरत होती है तो उन्हें फ्री में दूध दे दिया जाता है, लेकिन बेचा नहीं जाता है। गो रक्षा यहां के लोगों में कूट-कूटकर भरी है। बिशनखेड़ा गांव के लोग गो माता की भरपूर सेवा करते हैं। गांव के देव गादी की मान्यता है कि कुछ लोगों ने बीच में दूध बेचना शुरू कर दिया तो उनकी भैंस या गाय मर गई।
हर पुरुष वर्ग के सिर पर है चोटी, 21 साल से पहले कोई चोटी नहीं कटा सकता है। इस गांव की एक और खासियत है कि इस गांव में बच्चे से लेकर कम से कम 21 साल तक सिर पर चोटी रहती है। जब तक की पुरुष वर्ग के लोगों का विवाह नहीं हो जाए। विवाह होने के बाद भी अनेक लोग चोटी रखते हैं, लेकिन विवाह के बाद चोटी कटवा सकते हैं। इसका कारण बताते हुए ग्रामीणों का कहना है कि इससे लोगों की आयु लंबी रहती है और कोई बीमार भी नहीं होता है।
0 Comments