किसानों ने दीवाली पर गौमाता व बैलगाड़ी की पूजा कर उनसे प्रार्थना कर रहे हैं। सीहोर जिले के ग्राम चंदेरी के किसान व समाजसेवी एम.एस. मेवाड़ा का कहना है कि किसानों के लिए गौमाता व बैलगाड़ी भगवान के बराबर होते है। इस युग में गौमाता व बेल को घर से भगा दिया जाता है, जिसके कारण वह रोड पर भटकते फिरते हैं, लेकिन आज भी हमारे ग्रामीण क्षेत्र के किसान गौमाता व बेलों को पूज कर उनको अपना भगवान मानते हुए उनकी पूजा करते चले आ रहे हैं। हिंदू धर्म में गौमाता की रक्षा करना सबसे बड़ा धर्म माना गया है, क्योंकि गौमाता में 36 करोड़ देवी देवता निवास करते हैं इसलिए गौमाता की रक्षा करना चाहिए। दीपावली के शुभ अवसर पर किसानों ने बैलगाड़ी की पूजा गौमाता को भगवान का दर्जा दिया। आज के दौर में ऐसा लगता है कि आने वाले समय में बैलगाड़ी के दर्शन होना भी मुश्किल होगा। आज कल बामुश्किल गांव में बैलगाड़ी दिखने को मिलते हैं। विडम्बना यह भी है कि लोगों को शुद्ध मावे की मीठाई, शुद्ध दूध तो चाहिये परन्तु गौमाता के संरक्षण के लिये परहेज कर रहे हैं। साथ ही खासकर मध्यप्रदेश व राजस्थान में किसानों की पहचान धोती, साफा, कुर्ता व जैकेट आज कम ही दिखाई देती है।
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