बैरसिया (भोपाल) बैरसिया तहसील के ग्राम झिरनिया-छापरी में हर साल होली और दिवाली की भाईदूज के दिन भगवान नृसिंह देव की पूजा की एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। इस दिन दोपहर करीब 1.30 से 2.00 बजे तक नृसिंह भगवान का पूजन संपन्न होता है। पूजन के लिए भी विशेष विधि है जिसमें सुबह से ही घी गुड और विभिन्न प्रकार के अन्न से विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर नृसिंह देव के स्थान पर उपस्थित ग्रामीण जनों को प्रसाद स्वरूप वितरित किया जाता है जिसे घर लाने की इजाजत नहीं होती है और पेट भर के प्रसाद खा सकते है और बचे हुए प्रसाद को देव स्थान पर पेड़ पौधों के नीचे चींटी आदि जीव जंतुओं के लिए छोड़ आते है।
पूजन से पहले कोई भी ग्रामीण धारदार वस्तु का उपयोग नहीं करता, महिलाएं एक दिन पहले ही रसोई की सब्जियां काटकर रख लेती हैं, किसान खेतों में काम पर नहीं जाते, किसी भी प्रकार का कोई वाहन नहीं चलते और न ही मोटर पंप चलाए जाते हैं।
अगर भूलवश कोई इन नियमों का उल्लंघन कर देता है तो वह स्वयं दंडस्वरूप नारियल और प्रसाद लेकर नृसिंह भगवान के स्थान पर पहुंचकर क्षमा याचना करता है।
गांव दोनों ओर से घने जंगलों से घिरा है। मान्यता है कि प्राचीन काल में शेर के हमलों से बचाव के लिए स्थानीय देवता की प्रेरणा से नृसिंह पूजा की यह परंपरा शुरू हुई थी। तब से आज तक यह पूजा बिना रुके जारी है और ग्रामीणों का विश्वास है कि तब से लेकर अब तक गांव के किसी भी व्यक्ति पर शेर ने हमला नहीं किया है।
गांव में आस्था और परंपरा का अनोखा संगम सदियों से कायम है।
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