सीहोर श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर स्थित छावनी में अष्टनिका महापर्व के पावन अवसर पर आठ दिवसीय सिद्धचक्र महामंडल विधान 105 आर्यिका विजिज्ञासाश्री माताजी ससंघ के सानिध्य में 1025 महा अर्घ समर्पित कर श्रावक श्राविकाओ ने संपन्न किया।
प्रातः श्री जी के अभिषेक शांति धारा नित्य नियम पूजा अर्चना कर धार्मिक अनुष्ठान श्रावक श्राविकाओ ने संपन्न कर। महामंडल विधान पूजा अर्चना कर धार्मिक अनुष्ठान संपन्न किया।
इस अवसर पर माता जी ने धर्म सभा में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए सिद्धचक्र महामंडल विधान के महत्व को विस्तार से बताया
सिद्धचक्र महामंडल विधान समस्त सिद्ध समूह की आराधना मंडल की साक्षी में की जाती है। जो हमारे समस्त मनोरथों को पूर्ण करती है। माताजी ने कहा कि जैन दर्शन में अष्टनिका महापर्व का विशेष महत्व बतलाया गया है। इस अवसर पर देव लोग भी नंदीश्वर दीप में आकर सिद्ध भगवान की आराधना करते हैं।
हर एक श्रद्धालु को सिद्धचक्र महामंडल विधान करना चाहिए। क्योंकि अंतिम लक्ष्य के रूप में संसारी प्राणी मोक्ष नहीं पा सकता है। इसलिए सिद्धों की आराधना के बिना मोक्ष का लक्ष्य सिद्ध नहीं हो सकता।
दोपहर में स्वाध्याय धार्मिक शिक्षण कक्षा में श्रद्धालुओं ने ज्ञानार्जन किया।
संध्या को गुरु भक्ति संगीत मय भजन कीर्तन कर धर्म लाभ अर्जित किया।
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