तीन दिवसीय द्वितीय राज्य स्तरीय सिद्धपुर रंगमहोत्सव सम्पन्न




सीहोर। मृत्युंजय कल्चरल एवं वेलफेयर सोसायटी द्वारा आयोजित तीन दिवसीय द्वितीय सिद्धपुर रंगमहोत्सव में दिनांक 27 जनवरी 2025 को स्थानीय शासकीय पीएमश्री महाविद्यालय सभागार में नाटक - मुसाफिऱ का मंचन किया गया।  नाट्य विचार एवं निर्देशन गोपाल दुबे का था। नाटक मुसाफिऱ में कई मुसाफिऱ एक रेल के डब्बे में मिलते हैं और अपनी कहानियों और विचारों को साझा करते हैं।
नाटक का सार
        नाटक मुसाफिऱ एक यात्रा की कहानी है जिसमें एक रेल की यात्रा में छे मुसाफिर मिलते हैं, अलग अलग स्वभाव और तबके के, आप में मेल नहीं खाने वाला स्वभाव।
          लेकिन धीरे धीरे खुलते जातें है और सुख-दुख की बातें करते है, एक लडक़ा जो आगरा किताबे पहुंचाने जा रहा है, सब उससे कहानी सुनाने की बात करते है, इसीलिए लडक़ा एक खेल खेलने की बात करता है और लेखकों के नाम की चिट डालता है, एक एक मुसाफिर चिट उठाते हैं और एक कहानी पढ़ते हैं कहानी पढ़ते पढ़ते सभी चरित्र होते जातें है।

पहली कहानी गुलज़ार की
दस पैसे और दादी मंचित होती हैं,
दूसरी अजातशत्रु का व्यंग  
अमृतसर दादर एक्सप्रेस में तीसरी चंद्रकांता बक्शी की कहानी
वो एक शाम
चौथी भगवतीचरण वर्मा की कहानी
खिलावन का नरक
पांचवी पुन: गुलज़ार की कहानी,  रावी पार और छटवी एवं अंत में आचार्य चतुरसेन की कहानी आवरागर्द आती है।  
सारी कहानी ट्रेन के सफर और यात्रा पर आधारित हैं ...
सभी कहानियों में इंसानी दर्द और भावनाओं को प्रदर्शित किया गया है,
जीवन भी एक यात्रा है, उसमें भी हमें जाने अंजाने ही अपने मिल जाते हैं कुछ बेगाने अपने हो जाते हैं, और कभी कभी कुछ अपने पराए हो जाते हैं, यही जीवन की परतें हैं।

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