संत श्री का चिर स्मरणीय आत्मीय मिलन। संयमी व्यक्ति को मिलता है स्वर्ग। मुनि श्री निर्णय सागर जी महाराज



सीहोर  संत शिरोमणि   समाधिस्थ आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से दीक्षित नवाचार आचार्य श्री समय सागर जी के महाराज के परम शिष्य ,108 श्री निर्णय सागर जी महाराज ससंघ श्रीं पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर स्थित छावनी में शीतकालीन वाचना प्रवास पर है।

मुनि श्री ने धर्म सभा में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए प्रवचन के दौरान कहां कि  संयम की महिमा अपरम्पार है जो थोड़ा सा भी संयम धारण कर लेता है कोई नियम संकल्प लें लेता है, वह देवायु कर्म का बंध करता है ,और वह मरकर स्वर्ग में देव बनता है।
मुनि श्री ने बताया कि हमारी आस्था के केन्द्र परम पूज्य *आचार्य श्री उमास्वामी महाराज के तत्वार्थ सूत्र की व्याख्या करते हुए कहा जो पापों का त्याग करके साधु बन जाता है आंशिक पाप का त्याग करने वाला ग्रहस्थ बन जाता है कठोर तप साधना करता है अथवा कोई भी बाधा का शांत भाव से सहन कर लेता है वह भी देव बन जाता है । इसलिए हम इतना ही कहते हैं कि आपको कम से कम उन वस्तुओं का त्याग तो अवश्य कर सकते हैं जो जीव हिंसा से तैयार होती है , जो मादक पदार्थ नशें को उत्पन्न करते हैं जो लोक नीति विरुद्ध होती है। ऐसा भी हम करते हैं तो देव बनने के अधिकारी हो सकतें हैं।
मुनि श्री निर्णय सागर जी महाराज ने द्रष्टांत देते हुए कहां कि यह तो कहावत आप सुनते ही होंगे बिना मरे स्वर्ग नहीं मिलता पर यह तो समझो  मरने के बाद भी स्वर्ग सबको नहीं मिला करता है। स्वर्ग के अधिकारी तो अच्छे काम करने वालों को ही मिला करता है। परोपकार करना गरीबों की सेवा करता है मूक पशुओं को कत्ल खाने से बचाता है। मांसाहार का त्याग कराता है शराब जैसी डायन से दूर रहता है।
संयम की सीमा इतनी ही नहीं है व्यर्थ में जंगल की लकड़ी का काटना पानी बर्बाद करना व्यर्थ में  पहाड़ काटना भी मिट्टी खोदना भी असंयम कहलाता है। और इन से बचना एक तरह का संयम है। संयम के  पालन करने से स्वास्थ्य की भी रक्षा होती है।  ब्रह्मचर्य व्रत धारण करना ज्यादा वस्तुएं न रखना आनंद युक्त स्वस्थ जीवन के लिए अमूल्य उपाय है। संयम से तो आदमी भगवान तक बन जाता है फिर स्वर्ग की क्या बात है ‌। मुनि श्री ने कहा कि संयमी का स्वर्ग में भी सम्मान होता है संयमी सदाचारी सभी के लिए वरदान होता है। संयमी की महिमा अपार होती है जितना बतलाएं कम है । संयमी व्यक्ति एक दिन भगवान बन सकता है।
,     संत श्री का चिर स्मरणीय आत्मीय मिलन सिद्धपुर नगरी सीहोर के श्रद्धालुओं के लिए ऐतिहासिक दिन। मुनिश्री निर्णय सागर जी महाराज मुनि श्री आदित्य सागर जी महाराज ससंघ का महा मिलन हुआ।  सीहोर। श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर स्थित छावनी में शीतकालीन वाचना प्रवास पर ससंघ विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से दीक्षित नवाचार आचार्य श्री समय सागर जी महाराज के परम शिष्य मुनि श्री निर्णय सागर जी महाराज शीतकालीन वाचना प्रवास पर ससंघ विराजमान हैं छावनी स्थित संत भवन में आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के परम शिष्य मुनि श्री आदित्य सागर जी महाराज ससंघ श्रधदालुओ के साथ। शोभा यात्रा के रूप में नगर के प्रमुख मार्गो से होते हुए संत भवन पधारे संत भवन में विराजमान मुनि श्री निर्णय सागर जी महाराज के मुनि श्री आदित्य सागर जी महाराज ससंघ ने चरण वंदना कर आशीर्वाद प्राप्त किया वहीं चार चांद लग गए जब मुनि संघ और पूर्व से विराजमान आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज साहब के शिष्य १०८ निर्णय सागर जी महाराज का छावनी स्थित संत भवन में महामिलन का एक अविस्मरणीय अमिट दृश्य दिखाई दिया।

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