सीहोर श्रीं 1008 नेमिनाथ मज्जिनेन्दृ जिनविम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव एवं विश्वशांति महायज्ञ के द्वितीय अध्याय गर्भकल्याणक उत्तरार्ध्द धार्मिक अनुष्ठान विधी विधान एवं भगवान नेमीनाथ के जीवन पर आधारित रुपांतर नृत्य नाटिका प्रस्तुति के माध्यम से संपन्न हुआ ।
आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य श्रतु संवेगी मुनिश्री आदित्य सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के द्वितीय दिवस शोर्यपुर नगरी कार्यक्रम स्थल रविन्द्र सांस्कृतिक भवन टाउन हॉल के प्रांगण में प्रातःजाप्य, अभिषेक, पूजन,याग मंडल आराधना शांति हवन इन्द्र इंद्राणी के रूप में श्रावक श्राविकाओ ने धार्मिक अनुष्ठान संपन्न किया। तत्पश्चात धर्म सभा में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए मुनि श्री आदित्य सागर जी ने प्रवचन के दौरान कहां कि
अंतिम तीर्थंकर भगवान वर्धमान स्वामी कै पावन और पुनीत शासन में हम सभी विराजते है । तीर्थंकर प्रभु की दिव्य देशना श्रवण करेंगे ।
मनुष्य जीवन मे हम सभी जीवो का कल्याण का साधन है । ऐ जीव सुख चाहता है लेकिन सुख के काम नहीं करना चाहता है । उन चीजों के लिए अच्छा प्रमाद चल रहा है कि नहीं हम अभी सुखी चर्चा कर रहे थे कि संसार में घूमने वाले जीवों का जो सुख होता बहुत प्रकार का उसमें मुख्यत: 16 प्रकार के सुख होते हैं जिनमें से आज पुनः चर्चा करेंगे दो और सुखों की
चर्चा है मन की निराकुलता और आकुलता ।
पहले है मन की निराकूलता मन की निराकुलता खुलता और किसी से कोई वैर विरोध ना होना तो जीवन हो गैर विरोध रहे तो उसके लिए भी आपको पुरुषार्थ करना चाहिए ।
मुनि श्री ने दृष्टांत देते हुए बताया कि
महिला वर्ग को संबोधित करते हुए कहा आप कही साड़ी लेने गई और साड़ी एक अच्छी लगी साथ की सहेली ने कहा और दुकान पर देखकर आते है बाजार मे गई नही समझ मे आई वापस उसी दुकान पर लेने गई और वह साड़ी बिक गई। बताओ क्या होता है इतनी बढ़िया थी तुम्हारे चक्कर में छूट गई मन मे आकुलता आ गई ।
छोटा सा दृष्टांत जो आपके जीवन में घटित होता है । उसकी बात कर है । सामाजिक कार्यों में अपनी गतिविधियां बढ़ाते हैं वैसे-वैसे उनकी निराकुलता खत्म होती जायेगी ओर आकुलता बढ़ती जायेगी।
एक वक्त ऐसा आएगा जो अपना लक्ष्य लेकर के आए तो उसे लक्ष्य को भूल जाएंगे इसलिए जीवन को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए मन को निराकुल रखना चाहिए ।
संध्या ,6 बजे गुरु भक्ति तत्पश्चात गर्भ कल्याणक अंतरंग क्रिया शाम 7 बजे श्री जी की आरती एवं मुनिश्री की आरती, शास्त्र सभा में बाल ब्रह्मचारी प्रतिष्ठाचार्य पियूष भैय्या जी ने वाचन किया।
तत्पश्चात तीर्थंकर भगवान नेमीनाथ के जीवन पर आधारित पटकथा अनुसार पंचकल्याणक प्रतिष्ठा के द्वितीय चरण में गर्भ कल्याणक ( उत्तरार्ध्द) क्रिया विधी विधान अनुसार माता शिव देवी के सौलह स्वप्न फल, अष्कुटकुमारियो द्वारा माता का मंगल स्नान,माता का श्रंगार, माता की आरती 56 कुमारिकायो द्वारा दिव्य भेंट देवियों द्वारा प्रश्न उत्तर एवं माता का शयन कलाकार मंडली के द्वारा नृत्य नाटिका रुपांतर के माध्यम से विस्तार से श्रद्धालुओं को भक्ति भाव से ओतप्रोत हो माता के सोलह स्वप्न का देव नन्दी कला मंच कलाकार मंडली के कलाकारों ने मन मोहक प्रस्तुतिकरण दिया ।
भगवान नेमीनाथ के जन्म के यदुवंशी राजा पिता समुद्र विजय का आयोजन में किरदार रमेश चंद्र जैन ने तथा माता का श्रीमती गीता देवी ने निभाने का सौभाग्य प्राप्त किया।
माता शिवा देवी के रूप मे गीता देवी की गोद भराई रस्म मे भारी सख्या मे महिलाओ ने गोद भरी । एवं पुरुष वर्ग ने माता पिता से आशीर्वाद प्राप्त कीया ।
गुरुवार संध्या को महाआरती करने का सौभाग्य मुख्य आरती कर्ता मनीष जैन पटवारी परिवार को प्राप्त हुआ ।
शुक्रवार को महा आरती अन्कुश जैन गौतम चंद जी जैन को सौभाग्य प्राप्त हुआ। प्रथम शांतिधारा
डा. सुनीता जैन आर सी जैन
द्वितीय शांतिधारा आशीष जैन अरुण जैन टी आई
गुरु पाद प्राक्षालम्अ नुराग जैन बी एल जैन शास्त्र भेट
रौशनी जैन नीरज जैन को सौभाग्य प्राप्त।
अंतिम तीर्थंकर भगवान वर्धमान स्वामी कै पावन और पुनीत शासन में हम सभी विराजते है । तीर्थंकर प्रभु की दिव्य देशना श्रवण करेंगे ।
मनुष्य जीवन मे हम सभी जीवो का कल्याण का साधन है । ऐ जीव सुख चाहता है लेकिन सुख के काम नहीं करना चाहता है । उन चीजों के लिए अच्छा प्रमाद चल रहा है कि नहीं हम अभी सुखी चर्चा कर रहे थे कि संसार में घूमने वाले जीवों का जो सुख होता बहुत प्रकार का उसमें मुख्यत: 16 प्रकार के सुख होते हैं जिनमें से आज पुनः चर्चा करेंगे दो और सुखों की
चर्चा है मन की निराकुलता और आकुलता ।
पहले है मन की निराकूलता मन की निराकुलता खुलता और किसी से कोई वैर विरोध ना होना तो जीवन हो गैर विरोध रहे तो उसके लिए भी आपको पुरुषार्थ करना चाहिए ।
मुनि श्री ने दृष्टांत देते हुए बताया कि
महिला वर्ग को संबोधित करते हुए कहा आप कही साड़ी लेने गई और साड़ी एक अच्छी लगी साथ की सहेली ने कहा और दुकान पर देखकर आते है बाजार मे गई नही समझ मे आई वापस उसी दुकान पर लेने गई और वह साड़ी बिक गई। बताओ क्या होता है इतनी बढ़िया थी तुम्हारे चक्कर में छूट गई मन मे आकुलता आ गई ।
छोटा सा दृष्टांत जो आपके जीवन में घटित होता है । उसकी बात कर है । सामाजिक कार्यों में अपनी गतिविधियां बढ़ाते हैं वैसे-वैसे उनकी निराकुलता खत्म होती जायेगी ओर आकुलता बढ़ती जायेगी।
एक वक्त ऐसा आएगा जो अपना लक्ष्य लेकर के आए तो उसे लक्ष्य को भूल जाएंगे इसलिए जीवन को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए मन को निराकुल रखना चाहिए ।
संध्या ,6 बजे गुरु भक्ति तत्पश्चात गर्भ कल्याणक अंतरंग क्रिया शाम 7 बजे श्री जी की आरती एवं मुनिश्री की आरती, शास्त्र सभा में बाल ब्रह्मचारी प्रतिष्ठाचार्य पियूष भैय्या जी ने वाचन किया।
तत्पश्चात तीर्थंकर भगवान नेमीनाथ के जीवन पर आधारित पटकथा अनुसार पंचकल्याणक प्रतिष्ठा के द्वितीय चरण में गर्भ कल्याणक ( उत्तरार्ध्द) क्रिया विधी विधान अनुसार माता शिव देवी के सौलह स्वप्न फल, अष्कुटकुमारियो द्वारा माता का मंगल स्नान,माता का श्रंगार, माता की आरती 56 कुमारिकायो द्वारा दिव्य भेंट देवियों द्वारा प्रश्न उत्तर एवं माता का शयन कलाकार मंडली के द्वारा नृत्य नाटिका रुपांतर के माध्यम से विस्तार से श्रद्धालुओं को भक्ति भाव से ओतप्रोत हो माता के सोलह स्वप्न का देव नन्दी कला मंच कलाकार मंडली के कलाकारों ने मन मोहक प्रस्तुतिकरण दिया ।
भगवान नेमीनाथ के जन्म के यदुवंशी राजा पिता समुद्र विजय का आयोजन में किरदार रमेश चंद्र जैन ने तथा माता का श्रीमती गीता देवी ने निभाने का सौभाग्य प्राप्त किया।
माता शिवा देवी के रूप मे गीता देवी की गोद भराई रस्म मे भारी सख्या मे महिलाओ ने गोद भरी । एवं पुरुष वर्ग ने माता पिता से आशीर्वाद प्राप्त कीया ।
गुरुवार संध्या को महाआरती करने का सौभाग्य मुख्य आरती कर्ता मनीष जैन पटवारी परिवार को प्राप्त हुआ ।
शुक्रवार को महा आरती अन्कुश जैन गौतम चंद जी जैन को सौभाग्य प्राप्त हुआ। प्रथम शांतिधारा
डा. सुनीता जैन आर सी जैन
द्वितीय शांतिधारा आशीष जैन अरुण जैन टी आई
गुरु पाद प्राक्षालम्अ नुराग जैन बी एल जैन शास्त्र भेट
रौशनी जैन नीरज जैन को सौभाग्य प्राप्त।
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