भगवान सोमनाथ के द्वार से कोई खाली नहीं लौटता-पं.मोहितरामजी


सीहोर। शिव पुराण ही नहीं वेदों में भी जिसकी महिमा का वर्णन आता है ऋग्वेद में जी सोमनाथ की महिमा को गया गया है ऐसे हैं मेरे सोमेश्वर महादेव, जिनको संसार सोमनाथ महादेव के नाम से जानता है। सोमनाथ मंदिर, भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से सबसे पहला ज्योतिर्लिंग है। यह गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है जो एक बार भगवान सोमनाथ की कथा सुनता है, दर्शन कर पूजन कर प्रणाम करता है। उसके द्वार से कभी कोई खाली हाथ वापस नहीं लौटता है। उक्त उदगार सिद्धपुर की पावन भूमि प्रथम बार शिव शक्ति महिला मंडल द्वारा आयोजित श्री सोमनाथ शिव महापुराण में अपनी प्रखंड वाणी से राष्ट्रीय संत कथा व्यास क्रांतिकारी संत कट्टर हिंदूवादी परम गौभक्त पंडित मोहितरामजी पाठक ने व्यक्त किये। भगवान सोमनाथ मृत्युंजय सोमनाथ एवं उनके मंदिर की महिमा अपार है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण चंद्र देव ने किया था। चंद्रमा को सोम भी कहा जाता है, इसलिए इस मंदिर को सोमनाथ ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान शिव साक्षात वास करते हैं। कहा जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन, पूजन, और आराधना से भक्तों के जन्मों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

सोमनाथ मंदिर त्रिवेणी संगम यानी कपिला, हिरण, और सरस्वती के संगम पर बना है। ऋग्वेद में भी सोमेश्वर महादेव की महिमा का उल्लेख है। कहते हैं कि महादेव अपने दरबार से किसी भी भक्त खाली नहीं लौटने देते, भगवान सोमनाथ किस कथा में पधार कर आप सभी अपने जीवन को धन्य बनाएं आज कथा का द्वितीय दिवस रहेगा जिसमें भगवान सोमनाथ भगवान नंदीश्वर की महिमा का वर्णन कथा व्यास पंडित मोहित रामजी पाठक द्वारा किया जाएगा आयोजन समिति में संपूर्ण मंडी क्षेत्रवासी सीहोर वासियों से कथा में पधारने का आग्रह किया ।

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