सर्व प्रथम अतिथियों माँ सरस्वती व भगवान सहस्त्रबाहु के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता गीतकार हीरालाल शर्मा ने की। विशेष अतिथि के रूप में हीरालाल जायसवाल, हरिओम दाऊ शर्मा उपस्थित रहे। सरस्वती वन्दना युवा कवि लक्ष्मण चौकसे ने की। गोष्ठी का संचालन डॉ.विजेन्द्र जायसवाल ने किया। अतिथियों का स्वागत समिति अध्यक्ष लक्ष्मण चौकसे ने किया। इस अवसर पर हीरालाल जायसवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भगवान सहस्त्रबाहु के समय देश भर में सबसे ज्यादा गौमाता थी और पशुओं को की धन माना जाता था। लक्ष्मण चौकसे ने कहा कि भगवान सहस्त्रबाहु ने महेश्वर में माँ नर्मदा नदी को अपनी सहस्त्र भुजाओं से रोका जिसका प्रतक्ष्य प्रमाण आज भी मौजूद है। भगवान सहस्त्रबाहु ने एक बार रावण को भी युद्ध में पराजित कर बंदी बना लिया था, जिसे बाद में ऋषिमुनियों के कहने से रावण को बंदीमुक्त किया। काव्यगोष्ठी करने वालों में प्रमुख रूप से हीरालाल शर्मा, हरिओम दाऊ शर्मा, कैलाश चौहान, डॉ.विजेन्द्र जायसवाल, जितेन्द्र नरोलिया, लक्ष्मण चौकसे, हीरालाल जायवाल, भरत, विशाल आदि ने काव्यपाठ किया।
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