सीहोर, 09 मार्च, 2025 जनजातीय संस्कृति की अनुपम छटा बिखेरने वाला भागोरिया पर्व सीहोर जिले के जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में मनाया जा रहा है। भैरूंदा तहसील के लाड़कुई में मनाए जा रहे भगोरिया पर्व में डीएफओ मगन सिंह डाबर तथा भैरूंदा एसडीएम मदन श्री रघुवंशी शामिल हुए। उन्होंने सभी जनजातीय समुदाय के नागरिकों को भगोरिया पर्व की बधाई और शुभकामनाएं दीं।
उल्लेखनीय है कि इस समय सीहोर जिले में आदिवासी संस्कृति की अनुपम छठ बिखरने वाला भगोरिया पर्व चल रहा है। भगोरिया पर्व जनजातीय समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। यह पर्व पश्चिम मध्य प्रदेश के निमाड़ और मालवा के आदिवासी बहुल्य इलाके में उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व होली से एक सप्ताह पहले प्रारंभ हो जाता है। सीहोर जिले के जनजातीय इलाकों में भी यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
इस दौरान विशेष मेले लगते हैं जहां जनजाति समुदाय के लोग अपने पारंपरिक परिधानों में पहुंचते हैं। इन मेलो में महिला, पुरुष, बच्चे, बूढ़े सभी शामिल होते हैं और पारंपरिक नृत्य, गीत, संगीत के माध्यम से अपने उल्लास को प्रदर्शित करते हैं। भगोरिया की शुरुआत उस समय से हुई जब साढ़े चार सौ साल पहले दो भील राजाओं कासूमार औऱ बालून ने अपनी राजधानी भगोर में मेले का आयोजन करना शुरू किया। सर्वप्रथम झाबुआ जिले के छोटे से गांव भगोर, जिसे भृगु ऋषि की तपोस्थली कहा जाता है, वहां से भगोरिया पर्व शुरू हुआ। धीरे-धीरे आस-पास के भील राजाओं ने भी इन्हीं का अनुसरण करना शुरू किया, जिससे हाट और मेलों को भगोरिया कहने का चलन बन गया। लेकिन अब समय के बदलते परिवेश में इसे भगोरिया हाट के नाम से जाना जाने लगा है। होली दहन से पहला साप्ताहिक बाजार लगता है। विशेष कर जनजातीय क्षेत्रों में लगने वाले हाट बाजार को ही भगोरिया हाट के नाम से जाना जाता है।
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