सीहोर। विश्वभर में बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ खाद्यान की आपूर्ति के लिए मानव द्वारा खाद्य उत्पादन की होड़ में अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए तरह-तरह के रासायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों का उपयोग पारिस्थितिकी तंत्र जैसे प्रकृति के जैविक और अजैविक पदार्थों के बीच आदान-प्रदान के चक्र को प्रभावित करता है, जिससे भूमि की उर्वरक शक्ति प्रभावित हो जाती है, साथ ही वातावरण प्रदूषित होता है तथा मनुष्य के स्वास्थ्य में गिरावट आती है।
कृषि को बचाने और आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ रखने के लिए किसानों को रासायनिक खाद से दूरी बनाकर जैविक खेती करना अनिवार्य है। रासायनिक खादों का उपयोग करने से शरीर की ऊर्जा और मानव का लंबा जीवन खत्म होते जा रहा है। इसलिए पारम्परिक खेती के साथ जैविक खेती के साथ गौवंश , प्रकृति की रक्षा करना जरूरी है। प्रकृति को बचाने के लिए हमें हर संभव प्रयास करना पड़ेगा क्योंकि बिना प्रकृति के हम जीवित नहीं रह सकते यह बात शिवशक्ति ग्रुप ऑफ कंपनी की ओर से वरिष्ठ कृषि अधिकारी सुनील मीणा ने सीहोर जिले के ग्राम भाऊखेड़ी में आयोजित जैविक खेती की पाठशाला कार्यक्रम के दौरान किसानों को संबोधित करते हुए कही।
गाँव-गाँव जाकर किसान भाईयों को बताया कि अपनी परम्परागत खेती से भटक कर रसायनिक खाद एवं उर्वक प्रयोग करें। आगे जानकारी देते हुए बताया कि जैविक खेती में ही किसान भाईयों का भविष्य सुरक्षित है तथा कम कीमत में जीवाणु भूमि की संरचना को सुधारते है। जैविक खाद एवं दवाईयों के प्रयोग से भूमि की उर्वरक शक्ति बढती है और किसान मित्र कीटों एवं जीवाणुओं की संख्या बढती है जो कि भूमि के लिये अति आवश्यक है। इस आयोजन के समापन के दौरान मनोहर सिंह, संतोष आदि किसानों को जैविक खेती करने के उपलक्ष्य में संस्था द्वारा सम्मानित किया गया और किसानों ने कुछ रकवा जैविक खेती करने का वचन दिया है।
कृषि को बचाने और आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ रखने के लिए किसानों को रासायनिक खाद से दूरी बनाकर जैविक खेती करना अनिवार्य है। रासायनिक खादों का उपयोग करने से शरीर की ऊर्जा और मानव का लंबा जीवन खत्म होते जा रहा है। इसलिए पारम्परिक खेती के साथ जैविक खेती के साथ गौवंश , प्रकृति की रक्षा करना जरूरी है। प्रकृति को बचाने के लिए हमें हर संभव प्रयास करना पड़ेगा क्योंकि बिना प्रकृति के हम जीवित नहीं रह सकते यह बात शिवशक्ति ग्रुप ऑफ कंपनी की ओर से वरिष्ठ कृषि अधिकारी सुनील मीणा ने सीहोर जिले के ग्राम भाऊखेड़ी में आयोजित जैविक खेती की पाठशाला कार्यक्रम के दौरान किसानों को संबोधित करते हुए कही।
गाँव-गाँव जाकर किसान भाईयों को बताया कि अपनी परम्परागत खेती से भटक कर रसायनिक खाद एवं उर्वक प्रयोग करें। आगे जानकारी देते हुए बताया कि जैविक खेती में ही किसान भाईयों का भविष्य सुरक्षित है तथा कम कीमत में जीवाणु भूमि की संरचना को सुधारते है। जैविक खाद एवं दवाईयों के प्रयोग से भूमि की उर्वरक शक्ति बढती है और किसान मित्र कीटों एवं जीवाणुओं की संख्या बढती है जो कि भूमि के लिये अति आवश्यक है। इस आयोजन के समापन के दौरान मनोहर सिंह, संतोष आदि किसानों को जैविक खेती करने के उपलक्ष्य में संस्था द्वारा सम्मानित किया गया और किसानों ने कुछ रकवा जैविक खेती करने का वचन दिया है।
0 Comments